Wednesday 13 September 2017

मधुमेह के मरीज घास पर नंगे पांव चलें, स्वस्थ रहें

 मधुमेह के मरीज अगर अपनी जीवनशैली को संतुलित नहीं बनाए रखते हैं ! यह कहने की जरूरत नहीं है कि तो इससे उन्हें कई किस्म की समस्या हो सकती है। खुद को स्वस्थ बनाए रखने के लिए न सिर्फ उन्हें डाक्टरों के निर्देशानुसार नियमित दवा खानी होती है बल्कि रेगुलर वाक भी करना होता है। जी, हां! वाकिंग यानी चहलकदमी मधुमेह के मरीजों के लिए एक लाभकारी उपचार है। इसके अलावा विशेषज्ञों का दावा है कि यदि मधुमेह के मरीज नंगे पांव घास पर चलते हैं, तो इसके उन्हें असरकारक फायदे देखने को मिलते हैं। सही मायनों में घास में नंगे पांव चलना सामान्य और स्वस्थ लोगों के लिए चलना भी लाभकारी है।

 नंगे पांव घास पर चलने के फायदे

बैलेंस इंप्रूव होता है---सामान्यतः हम अपनी जिंदगी में इतने व्यस्त हैं कि बमुश्किल ही नंगे पांव चलते हैं। लेकिन शायद आप यह नहीं जानते हैं कि नंगे पांव चलने से हमारा बैलेंस बेहतर होता है। दरअसल घास पर नंगे पांव चलने से हमारा वस्टीबूलर सिस्टम बेहतर होता है, जिससे हमारा न्यूरल सर्किट्स रिमैप होता है। आमतौर पर देखने को मिलता है कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ लोग बैलेंस बना पाने में असमर्थ हो जाते हैं, ऐसे में अगर हम नंगे पांव चलें तो हमारा बैलेंस बेहतर होगा और उम्र का परछावा उसमें देखने को नहीं मिलता।

रक्त प्रवाह बेहतर होता है---डायबिटीज के मरीजों में अकसर पांव से जुड़ी समस्या देखने को मिलती है। लेकिन अगर वे नियमित घास पर नंगे पांव चलें तो इससे उनके पांव के तलवे का रक्त संचार बेहतर होगा। इससे चहलकदमी करने में सहजता भी महसूस होगी। असल में जैसा कि हम जानते हैं कि धरती में गुरुत्वाकर्षण क्षमता होती है जो कि हर चीज को अपनी ओर खींचती है। इसी सिद्धांत के तहत हमारा रक्त प्रवाह नीचे की ओर होता है, लेकिन चूंकि रक्त प्रवाह इस गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत के उलट काम करने की कोशिश करता है, इससे हमारे सोल में रक्त प्रवाह बेहतर होने लगता है। यह स्थिति सामान्य लोगों और डायबिटीज के मरीजों के लिए भी लाभकारी है।

हृदय संबंधी बीमारी में कमी---मधुमेह के मरीज किस कदर हृदय संबंधी बीमारी की चपेट में आने के खतरों से घिरे रहते हैं, यह बात जगजाहिर है। ऐसे में मधुमेह के मरीजों के चहलकदमी जीवनदायिनी की तरह होती है। चहलकदमी करने से हमारे पूरे शरीर में रक्त प्रवाह बेहतर होता है, जिससे शरीर में रक्त के थक्के जमने की आशंका में कमी आती है। इसी का नतीजा है कि हृदय संबंधी बीमारियों में भी कमतरी होती है।

हड्डियां और मसल्स मजबूत होते हैं---नंगे पांव घास पर चलने से विनस रिटर्न में वृद्धि होती है, जिससे हमारी हड्डियां और मसल्स मजबूत होती हैं। इसके अलावा नियमित चहलकदमी करने से मसल्स फ्लेक्सिबल होती है। वाकिंग का असर सिर्फ पांव के मसल्स पर ही देखने को नहीं मिलता बल्कि पीठ और शरीर के पिछली हिस्से की हड्डियों में भी इसका असर साफ दिखता है। इससे हड्डियों में कैल्शियम में इजाफा होता है और सूरज की किरणों से हमें प्रत्यक्ष रूप में विटामिन डी भी मिलता है।

पांव से जुड़ी समस्या कम होती है-- हम ज्यादातर समय पांव में जूते ही पहने होते हैं, नतीजतन पंाव में कई किस्म की समस्या होने लगती है। कुछ लोगों में पांव सूजन, जलन, छिलना जैसी कई बीमारी हो जाती है। ऐसे में जब हम बिना जूतों के घास पर नंगे पांव चलते हैं तो इससे हमारे पांव को काफी आराम मिलता है। ठीक इसी तरह डायबिटीज मरीजों को भी अगर हल्की फुल्की पांव से जुड़ी कोई समस्या है तो उसका समाधान हो सकता है। हालंाकि डायबिटीज के मरीजों को हमेशा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अगर उन्हें पांव से जुड़ी कोई परेशानी है तो तुरंत डाक्टर से संपर्क करें।

रक्त चाप संतुलित करता है-- मौजूदा समय में हमारी ऐसी लाइफस्टाइल हो चुकी है कि ज्यादातर लोग रक्तचाप से पीड़ित हैं। लेकिन अगर आप नियमित घास पर नंगे पांव चहलकदमी करते हैं तो इससे आपको रक्तचाव संतुलित होता है। नतीजतन आप स्ट्रोक, किडनी फेलियर जैसी बीमारी के खतरों से भी बाहर हो जाते हैं। डायबिटीज के मरीजों को भी यह लाभ पहुंचाता है क्योंकि इससे उनकी जीवनशैली काफी हद तक संतुलित हो जाती है !

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